काश, आँसुओं से मुँह धोया होता, बीज प्रेम का मन में बोया होता, दुर्भाग्यग्रस्त मानवता के हित में अपना सुख, अपना धन खोया होता!
हिंदी समय में महेन्द्र भटनागर की रचनाएँ