बारिश
थमने का नाम नहीं लेती,
जल में डूबे
गाँवों-कस्बों को
थोड़ा भी
आराम नहीं देती!
सचमुच,
इस बरस तो कहर ही
टूट पड़ा है,
देवा, भौंचक खामोश
खड़ा है!
ढह गया घरौंदा
छप्पर-टप्पर,
बस, असबाब पड़ा है
औंधा!
आटा-दाल गया सब बह,
देवा, भूखा रह!
ईंधन गीला
नहीं जलेगा चूल्हा,
तैर रहा है चौका
रहा-सहा!
घन-घन करते
नभ में वायुयान
मँडराते
गिद्धों जैसे!
शायद,
नेता / मंत्री आए
करने चेहलकदमी,
उत्तर-दक्षिण
पूरब-पश्चिम
छाई
गमी-गमी!
अफसोस
कि बारिश नहीं थमी!