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कविता

अपहर्ता

महेन्द्र भटनागर


धूर्त -
सरल दुर्बल को
ठगने
धोखा देने
            बैठे हैं तैयार!

धूर्त -
लगाए घात,
छिपे
इर्द-गिर्द
          करने गहरे वार!

धूर्त -
फरेबी कपटी
         चौकन्ने
करने छीना-झपटी,
लूट-मार
हाथ-सफाई
चतुराई
           या
           सीधे मुष्टि-प्रहार!
धूर्त -
हड़पने धन-दौलत
पुरखों की वैध विरासत
हथियाने माल-टाल
कर दूषित बुद्धि-प्रयोग!

धृष्ट,
दुस्साहसी,
निडर!
बना रहे
छद्म लेख-प्रलेख!
चमत्कार!
विचित्र चमत्कार!


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हिंदी समय में महेन्द्र भटनागर की रचनाएँ