मौसम
	कितना बदल गया!
	सब ओर कि दिखता
	              नया-नया!
	सपना -
	जो देखा था
	             साकार हुआ,
	अपने जीवन पर
	अपनी किस्मत पर
	                 अपना अधिकार हुआ!
	समता का
	बोया था जो बीज-मंत्र
	पनपा, छतनार हुआ!
	सामाजिक-आर्थिक
	नई व्यवस्था का आधार बना!
	शोषित-पीड़ित जन-जन जागा,
	नवयुग का छविकार बना!
	साम्य-भाव के नारों से
	नभ-मंडल दहल गया!
	मौसम
	कितना बदल गया!