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कविता

स्कूली बच्चों के लिए अनुदेश

हरिओम राजोरिया


एक

सब बच्चे हिल मिल कर रहें
सब बच्चे एक साथ बढ़ें
कदम से कदम मिलाएँ
पढ़ने से पहले
प्रार्थनाएँ करना सीखें
गारंटी में रहें
गारंटी से पढ़ें
गारंटी से मिला नाज खाएँ
अन्नदान महादान है
भिक्षा लेने से पहले
भिक्षामंत्र बुदबुदाएँ
अपनी नाक खुद ही पोछें
यदि संभव हो सके तो
नाक छिनककर कक्षा में आएँ

दो

अपने कपड़े खुद ही धोएँ
अपने कपड़े खुद ही सुखाएँ
नंगे बदन कक्षा में न आएँ
फोड़ों को न खुजलाएँ
बोर्ड पर लिखे पाठ को
अतिशुद्ध उत्तर पुस्तिका में अंकित करें
नकल को असल की तरह लिखना सीखें
खैराती किताबों के कागज से
घर पर चूल्हा न सुलगाएँ

तीन

छुट्टी के बाद ही
बेशरम की लकड़ियाँ
सूखे कंडे-सूखी लेड़ियाँ
कहीं बाहर बीनने जाएँ
गाजर घास से बचकर रहें
बार-बार धोएँ हाथ
कुतर नहीं सकते अगर नाखून
तो उन्हें सफाई से रखना सीखें
निरीक्षण के लिए जब कोई आए
मिलकर सुर में गाएँ
संस्कृति को अक्षुण्ण रखें
हाजिरी के वक्त कक्षा में रह
सरकारी योजनाओं का लाभ लें 

चार

'अ' से अनार लिखें
'आ' से आम लिखें
लिखें 'इ' से इमली
लिखें 'ऊ' से ऊख
पर 'प' से पढ़ाई न लिखें
न लिखें 'फ' से फसल
'ज' से जमीन न लिखें
न लिखें 'म' से मजूरी
लिखना ही हो अपने मन से
तो 'न' से नगदी लिखें
'आ' से लिखें आत्महत्या


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