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कविता

देखना

हरिओम राजोरिया


एक नाम लिखता हूँ डर जाता हूँ
एक नाम के पास आकर ठिठक जाता हूँ
जैसे चंपालाल ए भूरा ए मुतिया या कोई और
इन नामों से जुड़े चेहरों को याद करता हूँ
इन चेहरों से अपना चेहरा मिलाता हूँ

आज अथाह समुद्र में तैर रहे हैं ये नाम
मैं इन्हें जलमग्न होता हुया देखता हूँ
देखता ही रह जाता हूँ
उदास भर होता हूँ
कुछ कर नहीं पाता


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हिंदी समय में हरिओम राजोरिया की रचनाएँ