एक आदमी कुर्सी के लिए दौड़ता है
	एक तनिक ठिठककर
	तपाक से बैठ जाता है कुर्सी पर
	कभी-कभी जिला सदर की कुर्सी
	और एक घूसखोर की कुर्सी
	एक ही तरह की लकड़ी से बनी होती है
	एक कुर्सी ऐसी होती है
	जिस पर बैठते ही शर्म मर जाती है
	एक कुर्सी बैठते ही काट खाती है
	कुछ कुर्सियाँ कभी न्याय नहीं कर पातीं
	कुछ कुर्सियों के साथ न्याय नहीं हो पाता
	एक कुर्सी ऐसी जिस पर बैठते ही
	आदमी का चैन छिन जाता है
	एक कुर्सी ऐसी जिसे देख एक आदमी
	अपनी ही हथेलियों को दाँतों से चबाता है
	इंतजार के लिए बनायी गईं कुर्सियाँ
	और फेंककर मारे जाने वाली कुर्सियाँ
	सामान्यतः कुछ हल्की होती हैं
	हमेशा पैसा फेंककर चीजें खरीदने वाले
	नहीं मान सकते उन हाथों का लोहा
	जो कुर्सियों को आरामदेह बनाते हैं
	और इस दरम्यान कभी आराम नहीं कर पाते
	जो सूखे पेड़ों को काटते हैं
	जो पेट से धकेलकर लकड़ी को
	मशीन पर घूमती आरी तक ले जाते हैं
	जो ऊँघने वालों के लिए
	एक पसरी हुई कुर्सी बनाते हैं