इतिहास का एक पन्ना फाड़ता हूँ
पोथी से
और गुंजेट कर फेंक देता हूँ पास वाले खंडहर में
जहाँ पहले लोग रहा करते थे
संविधान का एक पन्ना फाड़ता हूँ
पोथी से
और गुंजेट कर फेंक देता हूँ पास वाले खंडहर में
जहाँ पहले लोग रहा करते थे
...और एक पन्ना फाड़ता हूँ
पता नहीं किस पोथी से
और गुंजेटता हूँ लेकिन
मुट्ठी भींज कर ही रह जाता हूँ
फेंक नहीं पाता उस खंडहर में
जहाँ पहले लोग रहा करते थे ।