पत्थर पर जमी एक ओस की बूँद को अँगुली से छू कर देखो नीम की पत्ती का रस दाँतों के बीच से रिस कर तुम्हारी जीभ पर आ जाएगा
पहाड़ का दर्द रेत पर उसके पैरों के निशान बताएँगे जब गीली होगी रेत या सूखेगी रेत जब याद आएगी एक मजदूर के मरने की खबर
हिंदी समय में शैलेंद्र कुमार शुक्ल की रचनाएँ