पिता के लिए
तंजेब की जेबदार बनियानी
सिलते थे रहमत मास्टर
दादा के लिए
मारकीन की झँगिया ताखी
और कुर्ता सिलते थे रहमत मास्टर
मेरे लिए
सिर्फ पटरा की नेकर
सिलते थे रहमत मास्टर
और परधान जी के लिए
सिलते थे रहमत मास्टर
कुर्ता-पाजामा
सदरी
मिर्जई
और न जाने क्या क्या
बचनू काका ने भी जिंदगी मे सिर्फ एक बार
सिलवाई थी एक फतुही
रहमत मास्टर से
... ...
... ...
सुना है कि इधर भूख से मर रहे हैं
रहमत मास्टर
क्योंकि अब कोई भी नहीं जाता
उनके पास
कुछ भी सिलवाने