नमक दुख है धरती का और उसका स्वाद भी !
पृथ्वी का तीन भाग नमकीन पानी है
और आदमी का दिल नमक का पहाड़
कमजोर है दिल नमक का
कितनी जल्दी पसीज जाता है !
गड़ जाता है शर्म से
जब फेंकी जाती हैं थालियाँ
दाल में नमक कम या जरा तेज होने पर !
वो जो खड़े हैं न -
सरकारी दफ्तर -
शाही नमकदान हैं
बड़ी नफासत से छिड़क देते हैं हरदम
हमारे जले पर नमक !
जिनके चेहरे पर नमक है
पूछिए उन औरतों से -
कितना भारी पड़ता है उनको
उनके चेहरे का नमक !
जिन्हें नमक की कीमत करनी होती है अदा -
उन नमकहलालों से
रंज रखता है महासागर !
दुनिया में होने न दीं उन्होंने क्रांतियाँ,
रहम खा गए दुश्मनों पर !
गाँधी जी जानते थे नमक की कीमत
और अमरूदों वाली मुनिया भी !
दुनिया में कुछ और रहे-न-रहे -
रहेगा नमक -
ईश्वर के आँसू और आदमी का पसीना -
ये ही वो नमक है जिससे
थिराई रहेगी ये दुनिया।