मुझे नहीं चाहिए
तुम्हारे स्वर्ग में
हिस्सेदारी
मुझे चाहिए
मुझे दिए नर्क पर
तुम्हारी जवाबदारी
उसने तुम्हें ही नहीं
मुझे भी दिए हैं
वही एक माथ
दो आँखें दो कान
एक नाक एक जबान
एक दिमाग
फिर
क्यूँ फर्क
तुम्हारे-मेरे बीच
तुम श्रेष्ठ
मैं नीच
सिर्फ मुझ पर ही
क्यूँ है तुम्हारे
बैठाए देवताओं की
पहरेदारी
मैं ही क्यूँ ढोऊँ
तुम्हारे धर्मो का मैला
तुम अश्वारोही
मेरे पैर भी नहीं
मेरी सवारी
नहीं - नहीं
अब नहीं चलनेवाली
तुम्हारी कोई चाल
कोई मक्कारी
नहीं निभानी, सीखनी अब
तुम्हारी सिखाई
बड़ों, पुरखों की सौंपी
सामाजिक जिम्मेदारी
कोई दुनियादारी
हुज्जत नहीं!
चुपचाप सिंहासन खाली करो राजे!
आज मिला है
मुझे मेरा अधिकार
अब मेरी बारी!