सांसदों की सभा ने समझाया
गाँव के गरीब मतदाताओं की
मंडली को -
इन्हीं...
इन्हीं अँधेरी गलियों में घूमता हुआ
कोई ‘अजनबी’ आदमी
निगल जाएगा तुम्हें,
और रह जाओगे
बि...ख...र...क...र...
किसी बहुत बड़े चोर के
आहत अभिमानों की तरह
या फिर बोस को मिले हुए
गुमनाम अपमानों की तरह।
रह जाओगे
चारों ओर से दबी हुई
और दसों ओर से मुड़ी हुई
जौ की जली एक रोटी की तरह...
‘रह जाओगी तुम भी’,
महिलाओं से कहा।
न चाहकर भी सभी को
समझ में आ गई
‘प्यार’ से समझाई हुई ‘सिंपल-सी’ बात।