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कविता

प्यार और इंक रिमूवर

प्रांजल धर


प्रेम पाती में
उमड़ रहे शब्दों से
झाँकता है
इंक रिमूवर आजकल
 
जब प्रेम एक योजना हो
तो एक बार लिखने से पहले
सौ बार सोचना भी
बहुत कम पड़ जाता है,
पाती में लिखा शब्द
योजना की परतों में
बुरी तरह गड़ जाता है,
और योजना को
अंजाम तक पहुँचाने की
गाढ़ी लालसा में
हर बार शब्दों पर
इंक रिमूवर चढ़ जाता है
फिर लिखे जाते नये शब्द
उन पर फिर चढ़ता इंक रिमूवर,
फिर लिखा जाता कोई लफ़्ज़
लेकिन फिर इंक रिमूवर...
 
प्यार और इंक रिमूवर
पर्यायवाची हैं क्या!
या दोनों साथ-साथ मिले थे
हड़प्पा की खुदाई में!
 

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