ढम-ढम, ढम-ढम ढोल बजाता कूद-कूदकर बंदर, छम-छम घुँघरू बाँध नाचता भालू मस्त कलंदर!
कुहू-कुहू-कू कोयल गाती मीठा मीठा गाना, मुर्गे की शादी में है बस दिन भर मौज उड़ाना!
हिंदी समय में श्रीप्रसाद की रचनाएँ