hindisamay head


अ+ अ-

कविता

मुर्दा मौन

आरती


तुम्हारा बोलते जाना अच्छा है
जैसे कि रस्सी बटना, लंबी सी
अच्छा है समय के लिए भी
तुम्हारा यूँ ही बोलते रहना लगातार
तुम चिल्लाते
चीखते
या गालियाँ बकते तो भी अच्छा था
अच्छा नहीं हो सकता, बिल्कुल भी
यह मुर्दा मौन
चुप लगा जाना
हर प्रश्न के उत्तर में तुम्हारा यंत्रवत मुंडी हिलाना
और सोचना - ‘बोलने से भला होता क्या है?’


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में आरती की रचनाएँ