hindisamay head


अ+ अ-

कविता

एक बूँद इत्र

आरती


जैसे बूँद भर इत्र की बिखर गई हो मेजपोश पर
जैसे छलक गया हो प्याला शराब का
ऐसी ही कोई मिलीजुली सी
गमक
फैल गई है मेरे भीतर
मैं अभी इतनी फुरसत में नहीं कि
नफा नुकसान को माप तौल सकूँ


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में आरती की रचनाएँ