मीरा गाती रहीसाँसों के झाँझ मजीरे बजा बजाकरसमझाती रही प्रेम की पीर‘मेरो दरद न जाने कोय’न प्रेम जाना किसी ने न दीवानगीबस, एक मूरत और जोड़ दी मंदिर में
हिंदी समय में आरती की रचनाएँ