न जाने कितने जन्मों से उनींदी हैंउसकी बोझिल आँखेंघूरती दीवारउसमें सुराख बना देंगीकुछ भी यथावत नहीं बचेगाआग लगा देंगीख्वाबों मेंखिलखिलाहट मेंपानी में भीसावधान! उसे नींद भर सोने दो
हिंदी समय में आरती की रचनाएँ