जतिन मेहता एम ए
अपने अँधेरे कमरे में
पीली रोशनी से भरा कोई कागज पढ़ रहा है
और उससे थोड़ी दूर दीवार पर
एक अधेड़ मकड़ी पूरी मेहनत से
इतिहास का सघनतम जाला बुन रही है
अभी-अभी कमरे की खिड़की पर
पंखों पर गहरे कत्थई दाग वाली
एक तितली आकर बैठ गई है
वह किसी पेट्रोल कंपनी के
लुभावने विज्ञापन से भाग आई है
जिसे समूचे विश्व के अधिनायक द्वारा दिए
शांति-संदेश के बाद दिखाया जा रहा था
खबरें बता रही हैं
ठीक अभी कुछ समय पहले
बसरा के किसी उपनगर में
मार दिए गए हैं कुछ अनाम लोग
बाहर मुहल्ले की सँकरी गली में
कोई पुराने हारमोनियम पर
किसी मर्सिए के पहले टुकड़े जैसी
भारी और उदास धुन बजाने की कोशिश में है
और दूर अहमदाबाद की किसी निचली अदालत में
सहमी हुई कोई लड़की अपना बयान बदल रही है
अपनी फीकी और बदरंग ओढ़नी में
न्याय के नाम पर समेट रही है