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कविता

गीला और साँवला दुख

विशाल श्रीवास्तव


पीली रोशनी से भरा हुआ यह कागज
शोक-प्रस्ताव जैसा दिखने वाला एक संधिद-पत्र है 
आइए इसकी सयानी बारीकियों को समझें -
तुम तो ब्रेष्ट और नेरुदा को समझते हो जतिन
इस कागज को किसी रूखे शासनादेश की तरह नहीं
किसी मोनोग्राफ या निबंध की तरह
पूरी सहजता और भरोसे के साथ पढ़ो
पढ़ो और समझो कि हमने गढ़ा है
निर्ममता का संभ्रांत शिल्प 
लोगों के मर जाने के पीछे हमने 
सुलझे हुए और गहरे वैज्ञानिक तर्क दिए हैं
तुम्हें सब कुछ दिखाया है सजीले माध्यमों के जरिए
तो यह सारा कुछ गंभीरता से देखो
और बस यहीं 
मार्मिक होने से पहले कृपया थोड़ा रुको
दुखी होने से पहले
अपने शोक और विषाद की मात्रा को
बाजार जैसी जरूरी व्यवस्था को तय करने दो
 
जतिन मेहता एम ए 
पीली रोशनी से भरे कागज को
गुलाबी चिट्ठियों के बीच सँभालकर रख रहा है
उसे पढ़ने लिखने में मुश्किल हो रही है अब
 

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