hindisamay head


अ+ अ-

कविता

जेतवन में भिक्षुणी

विशाल श्रीवास्तव


बेहद करीब जाने
और लगभग पाँच बार सुनने के बाद
हम यह जान पाते हैं कि
फेफड़ों की पूरी ताकत से
गाती हुई यह साँवली लड़की
हारमोनियम पर जो गा रही है
वह बुद्धं शरणं गच्छामि है
 
जीर्ण भग्नावशेषों और
नए आलीशान विदेशी मठों के बीच
जिस जगह पच्चीस बारिशों
में भीगते हुए तपस्या की बुद्ध ने
लगभग उसी जगह
भारत के सबसे पिछड़े गाँवों में से
एक से आने वाली यह लड़की
बहुत कुरेदने पर बताती है कि 
उसे नहीं पता है इन शब्दों का अर्थ
वह केवल रिझाती है विदेशियों को
जिनकी करुणा से चलता है 
पूरे घर का जीवन
 
अब इस पूरे मसले में
तार्किक स्तर पर कोई समस्या नहीं है
पर जिन्हें पता है इन शब्दों का अर्थ
क्या वे ही जानते हैं इस पंक्ति आशय
आगे का छोड़ भी दें
तो हम कहाँ समझ पाए हैं
बुद्ध का पहला ही उपदेश
 
भव्यता की आभा में दीप्त
आकाशस्पर्शी इन मठों की
छाया में करुणा नहीं
उपजता है आतंक
विचरती हैं इनके हरित गलियारों में
अविश्वसनीय चिकनी त्वचाओं वाली
धवल वस्त्रधारिणी स्त्रियाँ
 
कौन है असली भिक्षुणी ?
 
जेतवन की बारिशें 
बार-बार 
पूछती हैं एक ही सवाल
 

End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में विशाल श्रीवास्तव की रचनाएँ