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बाल साहित्य

नन्हीं चिड़िया

शादाब आलम


नन्हें-नाजुक पैरों पर यह
कितनी जल्दी खड़ी हो गई।
नन्हीं चिड़िया पता नहीं कब
उड़ी फुर्र से बड़ी हो गई।

तिनका तिनका जोड़ जोड़कर
सुंदर-सा रच दिया घोंसला।
नन्हीं चिड़िया हिम्मत वाली
उड़े लिए मजबूत हौंसला।

मेहनत और मशक्कत करके
बच्चे अपने पाल रही है।
नन्हीं चिड़िया, जिम्मेदारी
अच्छी तरह सँभाल रही है।

चाहे कैसा भी मौसम हो
डटकर उसका करे सामना।
नन्हीं चिड़िया ने सीखा है
मुश्किल में ना हार मानना।

खुद में ही विश्वास ढूँढ़कर
लिए इरादे घूम रही है।
नन्हीं चिड़िया के कदमों को
आज बुलंदी चूम रही है।


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