जैसे पंछी वैसे हम भी
	मस्त-मगन,आजाद।
	बचपन जिंदाबाद!
	अपनी नन्हीं दुनिया
	अजब-अनोखी, खास
	दुख-चिंता को न दें
	कभी फटकने पास।
	अपनी बातों के आगे न
	हमको कुछ भी याद
	बचपन जिंदाबाद!
	किले शरारत के हम
	रोज बनाया करते
	हँसी-खुशी के मोती
	मुफ्त लुटाया करतें
	धमा-चौकड़ी खेल तमाशे
	में हम हैं उस्ताद।
	बचपन जिंदाबाद!
	चंचल,भोले,हँसमुख
	हम तो हैं अलबेले
	मन में बुनते रहतें
	सपने नए-नवेले।
	दिन अपने ये रहें हमेशा
	अपनी यही मुराद
	बचपन जिंदाबाद!