मेरी गुड़िया की शादी में
वक्त अभी है थोड़ा दूर।
पहले अच्छे विद्यालय में
उसका नाम लिखाऊँगी
जितना वह पढ़ना चाहेगी
उतना उसे पढ़ाऊँगी।
अपनी ख्वाहिश है,दे पाऊँ
मैं उसको खुशियाँ भरपूर।
कपड़े सिलना, स्वेटर बुनना
गुड़िया को सिखलाऊँगी
नए-नए पकवान बनाने,
की विधि भी समझाऊँगी।
कभी न उस पर हावी, होने
दूँगी गुस्सा और गुरूर।
समझदार हो जाएगी तो
दूल्हा उसका ढूँढ़ूँगी
थोपूँगी न मर्जी अपनी
उसकी मर्जी पूछूँगी।
पसंद-नापसंद उसकी, मुझको
खुशी-खुशी होगी मंजूर।