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कविता

थरथर

मंगलेश डबराल


अंधकार में से आते संगीत से
थरथर एक रात मैंने देखा
एक हाथ मुझे बुलाता हुआ
एक पैर मेरी ओर आता हुआ
एक चेहरा मुझे सहता हुआ
एक शरीर मुझमें बहता हुआ


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