"कुछ भी हो नाम नहीं बदलूँगी मैं।"
"अरे पर फिर समाज रिश्तेदार इन लोगों का क्या..."
"वो तुम जानो..."
लड़का मायूस होकर, "ठीक है बात करूँगा"।
कुछ दिनों बाद एक मुलाकात के दौरान लड़का, "जान,खुशखबरी है तुम्हारे लिए..."
आँखें फैलाते हुए लड़की, "क्या??"
"घरवाले राजी हो गए है..."
"अब कैसे मान गए..."
"वो पार्षद के चुनाव होने हैं, उसमे मेरी नेतागिरी और तुम्हारा आरक्षण..." आँख मारते हुए।