"रुक, सुन, माँ को मत बोलना कुछ भी..., ठीक है।"
"पर क्यूँ माँ को सब बताना जरूरी नहीं है क्या?"
"अरे तू नहीं समझेगी..."
"पर क्यूँ?"
"अरे, माँ को पता चला तो घर से निकलना बंद हो जाएगा।"
"पर क्यों..?"
"अरे, बापू को नहीं जानती क्या... कितनी मुश्किल से तो जाने देते हैं, पढ़ने। अम्मा का जीना दूभर कर देंगे।"
"पर इन लोगों ने फिर कुछ किया तो..."
कुछ नहीं फिर पिटेंगे साले, चल, अब मुँह बंद कर और घर चल, बहुत देर हो गई।"