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कविता

लड़की

उर्मिला शुक्ल


लड़की आज भी है
फूल की तरह
कोमल और नाज़ुक
बहुत संवेदनशील है वो
मगर वह चाहती कि अब
उसके दामन में भी
ऊग आएँ कुछ काँटे
चाकू और खंजर भी
वो चाहती है कि
धार दार हथियार में
बदल जाए वो
जंग में कितने जरूरी होते हैं
हथियार

जान चुकी है वो
इसलिए

2.

लड़की चाहती है
ऐसा घर
जिसमें हों
बड़ी बड़ी खिड़कियाँ
जिससे होकर
आ सके
ताजी हवा और
ढेर सी रोशनी...
वह चाहती है
घर में हो एक
बुलंद दरवाजा
जिससे होकर वह
जा सके बाहर
मगर घर में तो हैं
दीवारें सिर्फ दीवारें
लड़की देख रही
दीवारों को


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