हवा में लहराता तिरंगा पूछ रहा है मुझसे आखिर कब तक ढोऊँगा मैं इन रंगों भार ? कब तक फहराऊँगा मैं यूँ ही निरर्थक ? कब ? आखिर कब ? समझोगे तुम इन रंगों का महत्व ?
हिंदी समय में उर्मिला शुक्ल की रचनाएँ