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बाल साहित्य

जादूगर

अपर्णा शर्मा


जादूगर कुछ खेल दिखाओ,
उलट-पलट कर हाथ घुमाओ।
अभी हाथ में था रूमाल जो,
कहाँ खो गया जल्दी लाओ।

मुँह में रखा था एक गोला,
कहाँ गया वह जल्दी बोलो।
पेटी में एक लड़की बंद है,
जल्दी से तुम उसको खोलो।

कपड़े हैं जो ढीले-ढाले,
क्या ये ही हैं जादू वाले?
सिर पर रखी पगड़ी गोल,
इसका भी जादू दो खोल।

छोटी सी मटकी में कैसे,
पानी बार-बार है आता।
छोटा सा लड़का जो तुम पर,
वह भी करतब खूब दिखाता।

पेट चीर चाकू से तुमने,
उसको भी है ठीक बनाया।
है डरावना खेल मगर यह,
हम बच्चों को कभी न भाया।

खेल दिखाओ तुम बस ऐसे,
अचरज और हँसी जिनमें है।
हम बच्चों को हैं ये भाते,
हँसते हम घर को हैं आते।

जादूगर कुछ खेल दिखाओ,
उलट-पलट कर हाथ घुमाओ।


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