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कविता

डरती हूँ

लाल्टू


 

जब तुम बाहर से लौटते हो
और देख लेते हो एकबार फिर घर

जब तुम अन्दर से बाहर जाते हो
और खुली हवा से अधिक खुली होती तुम्हारी स्वास
अन्दर बाहर के किसी सतह पर होते जब
डरती हूँ

डरती हूँ जब अकेले होते हो
जब होते हो भीड़

जब होते हो बाप
जब होते हो पति आप

सबसे अधिक डरती हूँ
जब देखती तुम्हारी आँखो में

बढ़ते हुए डर का एक हिस्सा
मेरी अपनी तस्वीर.

(हंस - 1998)

जब तुम बाहर से लौटते हो
और देख लेते हो एकबार फिर घर

जब तुम अन्दर से बाहर जाते हो
और खुली हवा से अधिक खुली होती तुम्हारी स्वास
अन्दर बाहर के किसी सतह पर होते जब
डरती हूँ

डरती हूँ जब अकेले होते हो
जब होते हो भीड़

जब होते हो बाप
जब होते हो पति आप

सबसे अधिक डरती हूँ
जब देखती तुम्हारी आँखो में

बढ़ते हुए डर का एक हिस्सा
मेरी अपनी तस्वीर.

(हंस - 1998)


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