hindisamay head


अ+ अ-

कविता

कवि की याद में

लाल्टू


गुज़रने से पहले ही एक युवा कवि ने लिखी थी उस पर पाँच छह कविताएँ
इधर साल भर आधा दर्जन समकालीन मित्र जन
लिख रहे छप रहे उसके नाम
करीब करीब हाय कवि हाय कवि कहती कविताएँ

अपने समय के प्रमुख कवियों की तरह वह पुरुष
खासी ऊँची जाति का और मध्य वर्गीय
घर में चाय शायद ही कभी बनाई
बीबी जैसी होती वैसी ही थी
उसका काम शराब पीना और महाकवि घोषित खुद को करना
दोस्तों का काम उसे शराब पिलाना और साथ बिताई शामों का खजाना बढ़ाते रहना
दूर दूर तक युवाओं ने पढ़ीं उसकी कविताएँ
दूर दूर तक फैले उसके शब्द
हालाँकि वह था एक निहायत कमज़ोर आदमी
दुबारा कह रहा हूँ हालाँकि वह एक निहायत कमज़ोर आदमी
उसके शब्दों में थी ताकत बला की
आशा के दीप थे उसके शब्द
जब अँधेरा हो
बहुत अँधेरा घनघोर
दूर दूर से हम आएँगे मिलेंगे
उसके शब्द बाँटेंगे
याद करते हुए रोएँगे
शब्दों में रोता उसका दिल
हमारी यादों में होगा
हम रोएँगे खूब रोएँगे.

(पश्यन्ती - 2001)


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में लाल्टू की रचनाएँ