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कविता

निश्छल

लाल्टू


चाभी घुमाते ही उछलता
जानवर बेजान.
खिलखिलाकर हँसती नन्ही जान
कि बेजान में ढूँढती जान.

चाभी का जादू, ब्रह्माण्ड का रहस्य
हरकत, अहसास, उछलकूद
संगीत नृत्य.

चाभी घुमाने की कमजोर कोशिश में
रुकती मुस्कान.
पूरी तरह सफल न होने की असहायता.

वयस्क हाथ अवांछित; चाभी
घुमाते ही हाथों को परे करता.

जादुई खेल में सिमटे
सभी दिगन्त, सभी क्षितिज.

घूमती नाचती नन्ही जान
जानवर निश्छल बेजान.

(पश्यन्ती - 2000)


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