तकिया अच्छा नहीं है चादर साफ नहीं पुस्तक जो बिस्तर के पास है उस पर धूल की तह है. बिस्तर के पार कमरे का शून्य जिसे भरने की कोशिश में आलमारी मेज़ जैसी चीज़ें. कमरे और कमरे के बाहर का शून्य जोड़कर बनता है विश्व शून्य. बढ़ता ही रहता है शून्य. (2004)
हिंदी समय में लाल्टू की रचनाएँ