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कविता

पिता

लाल्टू


वह गन्दा सा चुपचाप लेटा है
साफ सफेद अस्पताल की चादर के नीचे
मार खाते खाते वह बेहोश हो गया था
उसकी बाँहें उठ नहीं रही थीं.

धीरे चुपचाप वह गिरा
पथरीली ज़मीन पर हत्यारों के पैरों पर.

सिपाही झपटा
और उसका बेहोश शरीर उठा लाया
उसकी भी तस्वीर है अखबारों में
मेरे ही साथ छपी
मैं बैठा वह लेटा
चार बाई पाँच में वह पिता मैं बेटा.

(2002)


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