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कविता

हरसिंगार रखो

त्रिलोक सिंह ठकुरेला


मन के द्वारे पर
खुशियों के
हरसिंगार रखो

जीवन की ऋतुएँ बदलेंगी,
दिन फिर जाएँगे,
और अचानक आतप वाले
मौसम आएँगे,
संबंधों की
इस गठरी में
थोडा प्यार रखो

सरल नहीं जीवन का यह पथ,
मिलकर काटेंगे,
हम अपना पाथेय और सुख, दुख
सब बाँटेंगे,
लौटा देना प्यार
फिर कभी,
अभी उधार रखो


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