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कविता

बाकी सब ठीक है

भारतेन्दु मिश्रा


इधर उधर छितराए सपनों की लीक है
बाकी सब ठीक है।

आग लगी आसपास
जलता है अमलतास
झुलस रहा कालिदास, बाकी सब ठीक है।

मर गए कपोत सभी
डूबे जलपोत सभी
सोए खद्योत सभी, बाकी सब ठीक है।

जनता बेकाबू है
ऊँघ रहा बाबू है
स्थितियों पर काबू है, बाकी सब ठीक है।


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