जितना
धुंध, धुआँ हो पथ में
हम लाएँगे कल।
भले सितारा
उगे न नभ में
भरी अमावस हो
शुभ्र चाँदनी
दिखे न जग में
सूरज परवश हो,
फिर भी
मेहनत से लाएँगे
सोने जैसा कल।
हरा करेंगे
उपवन को हम
फूल खिलाएँगे
कलियों की
साँसों में हर पल
मलय मिलाएँगे,
भर देंगे
नदियों में भी हम
निर्मल मीठा जल।
हर विपदा को
गले लगाकर
प्यार करेंगे हम
हर ठोकर को
चूम होंठ से
घाव भरेंगे हम,
बने समस्या
चाहे पर्वत
खोजेंगे हम हल।