मीत! देख लो
नई नवेली
किरण कहाँ है ?
खेतों में या
नगर-गाँव की
झोपड़ियों में
कहीं रुका हो
सौ दुर्दिन की
फँस घड़ियों में,
अश्रु पोंछता
सरल तरल वह
हिरन कहाँ है ?
गोकुल-मथुरा
वृंदावन के
घने कुंज में
प्रेम जगत में
या ज्ञानी के
ज्ञान-पुंज में,
लिए सुदर्शन
लज्जा रक्षक
किशन कहाँ है ?
पेड़ काटता
वन-उपवन में
सौ बबूल का
डाल काटता
नागफनी के
तेज शूल का,
महाकाल-सा
विष पीता वह
सृजन कहाँ है ?