इस आँधी में
राहों पर
चलना मुश्किल है।
डगमग पर्वत
चट्टानों में
हलचल भारी
हर टीला ने
देख बवंडर
हिम्मत हारी,
राही का भी
घबड़ाया
छाती में दिल है।
पेड़ सड़क का
मतवाला
हाथी-सा लगता
झाड़ी का तन
रातों में
भूतों-सा जगता,
इस आफत में
बिगड़ी हवा
सदा शामिल है।
धरन गिरे सब
झुग्गी सारी
औंधी लेटी
छप्पर बिखरे
खंभा ने भी
टाँग समेटी,
गिरी दिवारें
चौखट भी
गिरने काबिल है।