पोता होने के उत्तर में
क्या कह पाए वे
राम लखन चौबे।
राम खिलावन की चिट्ठी का
सच क्या बतलाएँ
इन सीमाओं की परिभाषा को
ना दोहराएँ
पता चल गया तो चुपके से
बैठे ठाले ही
कह देंगे हैं काँव-काँव में
व्यस्त सभी कौवे।
बेटे का यह प्रणय
नतीजे में पोता लाया
लड़की रही कुजात
इसलिये रिश्ता न भाया
अब कितनी ही लिखे
चिट्ठियाँ राम खिलावन भी
यह है कटी-पतंग
सूत न मंजे करकौवे।
ऐसी तो पितृत्वहीन
कितनी ही संतानें
विद्यमान सारे गाँवों में
संख्या प्रभु जाने
सिर्फ शिकायत कर सकते
बाकी अधिकार नहीं
दलित, दमित, शोषित पीड़ित
कितना और दबे।