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कविता

आदिम युग से चिड़िया गाना गाती है

जयकृष्ण राय तुषार


मौसम की आँखों से
आँख मिलाती है
आदिम युग से
चिड़िया गाना गाती है।

आँधी ओले, बर्फ
सभी कुछ सहती है,
पर अपनी मुश्किल
कब हमसे कहती है,
बच्चों को राजा को
सबको भाती है।

एक घोंसले में चिड़िया
रह लेती है,
अंडे-बच्चे
सभी उसी में सेती है,
नर से मादा अपनी
चोंच लड़ाती है।

चिड़िया जंगल की
आँखों का ऐनक है,
सुबहों संध्याओं की
इससे रौनक है,
सुख दुख की
चिट्ठी पत्री पहुँचाती है।

आसमान यादों का
जब भी नीला हो,
सना हुआ आटा
परात में गीला हो,
मुंडेरों से उड़कर
चिड़िया आती है।


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