क्यों अँधेरों में
नया दीपक जलाना चाहते हो ?
सूर्य की किरणें जगत को
क्यों नहीं अब नूर देतीं ?
वृक्ष की वह सघन छाया
क्यों नहीं अब पूर देती ?
बढ़ रहीं सब दूरियों को,
क्यों मिटाना चाहते हो ?
क्यों चमन के फूल सारे
अब नहीं वह कांति पाते ?
क्यों उपासक मंदिरों में
अब नहीं सुख-शांति पाते ?
क्यों समय की सोच का अब,
रुख बदलना चाहते हो ?
समय के संगीत का
सम्मान करना चाहिए।
हर गिरे जन को उठा कर
प्यार करना चाहिए।
प्रेम, ईश्वर, प्यार, पूजा,
क्यों जताना चाहते हो ?