छोड़ रोना तू जरा हँस
सोचता ही जा रहा है
व्यर्थ मन उकसा रहा है
यदि रहा खोया ही खोया,
क्या मिलेगा प्राण का रस।
चार दिन की यह कहानी
प्यार से बनती सुहानी
तू अगर ऐसा करेगा,
जग रहेगा हाय बेबस।
छोड़ दे अब यह फसाना
गा कोई नूतन तराना
कर सरस जीवन अभी तक,
जो रहा है सिर्फ नीरस।