जिंदगी है
तो विरोधाभास भी होंगे।
हम यहाँ सब
ठेठ मिट्टी के
खिलौने हैं
उम्र भर
जिनको स्वयं के
क्रास ढोने हैं
भोग-लिप्सा से
लगे संन्यास भी होंगे।
भूलकर भी
तुम न इनको -
अन्यथा लेना
हो सके तो
सिर्फ हँसकर -
टाल भर देना
अर्थ से खारिज
यमक, अनुप्रास भी होंगे।
यह समझ
पहचान लेने में
भलाई है
रात ही लाती
सुबह सोनल
जुन्हाई है
विश्व में कुछ
आम तो कुछ खास भी होंगे।