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कविता

उत्तर दो

इसाक ‘अश्क’


क्या होगा
साफ-साफ उत्तर दो
कागजी समन्वय के बुनने से।

तुमने जो
आशा-आकांक्षा जगाई थी
उसने है रचा -
एक सूनापन-सन्नाटा
पी गए अभाव
उम्र का समग्र गंगाजल
शेष नहीं -
कहने को कहीं ज्वार-भाटा

ऐसे में क्या होगा
हाथ उठा
वोट डाल और तुम्हें चुनने से।

करने के लिए व्यक्त
दर्द के दुसह दुख को
पास नहीं शब्द -
           सगुण भाषा,
क्योंकि हैं किए उसे
अपने आधीन
तुम्हारे पद का -
           गरीयसी कुहासा

तब फिर क्या होगा
इन दर्शक
श्रोताओं में बैठ तुम्हें सुनने से।


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