इस नदी पर एक पुल था
दो किनारे जोड़ कर रखना
उसे भाता बहुत था
किंतु कुछ दिन से मरम्मत के लिए
वह बंद रहता है।
अब न हम
इस पार से उस पार जा पाते
बाँसुरी की टेर
जो हमको बुलाती थी
सुन उसे हम बेबसी में छटपटाते
यों, नदी में
पर्वतों की छातियों से टूट कर गिरता हुआ जल
रोज बहता है।
भूल बैठे हम
नदियों के बीच कटि स्नान कर
संकल्प लेना
या कि नन्हे दीप तैरा कर लहर पर
इंद्रधनु की सृष्टि करना
यों, कथा कहता हुआ
वह वृद्ध साईं, वहीं रहता है।