शिल्पी हैं वे
लंबे कद को
छोटा करने के।
शब्द-यज्ञ की
चौखट-चौखट
चाकरी बजाते हैं
नीलम के सम्मुख
पाथर को
बहुमूल्य बताते हैं
ख्यातिलब्ध हैं
इतिहासों में
क्षेपक गढ़ने के।
बड़े बड़े शब्दों के
दुखते
कर-पाद दबाते हैं
वैतरणी में
पूरे कुनबे से
पाप धुलाते हैं
गुर आते हैं
भागीरथ-सम्मान
झटकने के।