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कविता

प्यार भरी मनुहार भरी

अलका विजय


प्‍यार भरी मनुहार भरी,
एक शाम मुझे पा लेने दो।
गीत लिखे तेरे आँचल पर,
उसको तो गा लेने दो।

भूलूँ ना ये गीत प्रीति का,
फिर इसको दोहराने दो।
पल दो पल का साथ तुम्‍हारा,
मधुरस तो छलकाने दो।

कलुषित नयन नीर जो उर में,
आँखों से ढल जाने दो।
नवल स्‍वप्‍न को नव जीवन के,
सपनों में पल जाने दो।

हृदय चाहता नेह निमंत्रण,
उधर हृदय ले जाने दो।
गीत रागिनी से आज प्रिये,
मेरे मन को बहलाने दो।

स्‍मृतियों के कोलाहल में,
आज मुझे खो जाने दो।
इस स्‍वप्नि‍ल सुरमई शाम को,
अब मेरी हो जाने दो।
 


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